बुधवार, 12 अक्टूबर 2016

इण्डियन फ़िल्म - प्रस्तावना

प्यारे बच्चों,
आप अक्सर फ़िल्में देखते होंगे .

कभी कोई फ़िल्म अच्छी लगती होगी, कोई अच्छी नहीं भी लगती होगी.

कभी आप हिंदी फ़िल्में देखते होंगे, कभी अन्य भारतीय भाषा की , कभी विदेशी भी.

जब आप विदेशी फ़िल्में देखते होंग़े तो उनके बारे में क्या सोचते हैं?

नई विदेशी फ़िल्म आपको कैसी लगती है, पुरानी, बहुत पुरानी फ़िल्म आज देखें तो कैसी लगेगी?

बच्चों के लिए रूसी कहानियाँ लिखने वाले एक नौजवान लेखक हैं सिर्गेइ पेरेल्याएव , उनकी कहानियों का एक संग्रह, जिसका शीर्षक है, 'ईंडियन फ़िल्म' , उसे मैं हिंदी में आपके लिए प्रस्तुत करने जा रही हूँ.

ये पुस्तक दो भागों में है, करीब 8 वर्ष के बालक इसे समझ लेंग़े.

कहानियों का नायक अपने अब तक के जीवन के बारे में, अपने आने वाले जीवन के बारे में भी लिखता है.

कहीं बच्चों की शरारतें, कभी उनके दिल में उठने वाले विचार.....मतलब, काफ़ी कुछ सामग्री है, आपके लिए, और इन्हींमें इण्डियन फ़िल्म्स देखकर उसे और उसके दोस्तों को कैसा लगता है, यह भी आप जानेंगे.

हम धीरे धीरे आगे बढेंगे....

तो....चलें!